याज्ञवल्क्य मिश्रा, Raipur. आदिवासी आरक्षण मसले पर राज्य सरकार आगामी 1 और 2 दिसंबर को विशेष सत्र बुलाने जा रही है। मुख्यमंत्री बघेल ने इस विशेष सत्र के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत को पत्र भेज विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया है।
रिजर्वेशन पर हाईकोर्ट का फैसला
लोक सेवा में आरक्षण और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण इनके संबंधित धारा 3 और धारा 4 को असंवैधानिक करते हुए रद्द किया गया, लेकिन इस आधार पर हुई भर्ती को यथावत रहने दिया। हाईकोर्ट ने पचास फीसदी से ज्यादा आरक्षण होने को फैसले का आधार बनाया था। जिस याचिका पर यह फैसला आया, वह आदिवासियों को मिले आरक्षण के खिलाफ दायर किया गया था। तत्कालीन रमन सरकार ने आदिवासी वर्ग को 32 फीसदी आरक्षण, जबकि अनुसूचित जाति को 12 और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण कोटा निर्धारित किया था। हाईकोर्ट ने इस आरक्षण कोटा को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया।
आदिवासी वर्ग नाराज
आरक्षण पर आए इस फैसले के बाद आदिवासी वर्ग भड़क गया। आदिवासी समाज के नेताओं ने भूपेश सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर हाईकोर्ट में पूरी ताकत से पक्ष नहीं रखा, तथ्य पेश नहीं किए। आदिवासी समाज इस मसले को लेकर तेजी से लामबंद हुआ है।
आदिवासी सीट भानुप्रतापपुर में है चुनाव
बीजेपी भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में आदिवासी आरक्षण का मुद्दा प्रमुखता से उठाने की कवायद में है। बीजेपी को इस मामले में सरकार से बुरी तरह नाराज आदिवासी समाज के नेताओं से भरपूर समर्थन मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस इस मामले को मुद्दा बनाने से रोकने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुला रही है। राज्य सरकार विधेयक पेश कर आरक्षण को फिर से प्रभावी करेगी।
कानूनी पेंच का खतरा फिर भी है
इस मसले को लेकर कानूनी जानकारों का कहना है कि सरकार को विधेयक का आधार बेहद मजबूत बनाना होगा, वरना कोई नई याचिका इस विधेयक को भी सवालों में ले आएगी।